Uttar Pradesh: मंदी का असर! 40% आलू Cold Store में फंसा, Nepal-Pakistan Export बंद होने से दोहरा घाटा झेल रहे UP के किसान

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Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में इस साल अप्रैल-मई के दौरान bumper potato production ने किसानों की उम्मीदों को बढ़ाया था, लेकिन अब यही बंपर पैदावार किसानों के लिए सिरदर्द बन गई है। प्रदेश में करीब 40% आलू Cold Storage में फंसा हुआ है, जिसकी वजह से किसानों और व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अप्रैल में थोक मंडियों में जहां आलू का भाव 1157 से 1173 रुपये प्रति क्विंटल था, वहीं अब यह गिरकर 900 से 1100 रुपये प्रति क्विंटल तक रह गया है। फर्रुखाबाद, आगरा, अयोध्या, प्रयागराज और गोरखपुर मंडियों में आलू के भाव में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।


प्रदेश के उद्यान विभाग के अनुसार, Uttar Pradesh देश की कुल आलू उत्पादन का लगभग 35% हिस्सा देता है। वर्ष 2024-25 में करीब 245 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन हुआ और 2207 शीतगृहों में लगभग 150 लाख मीट्रिक टन आलू स्टोर किया गया। आमतौर पर सितंबर तक Cold Storage खाली हो जाता है, लेकिन इस साल कम मांग और गिरते भाव के कारण आलू की निकासी धीमी है। विभाग ने 31 अक्टूबर तक सभी शीतगृह खाली करने के निर्देश दिए हैं, जबकि अब तक 35 से 40 फीसदी आलू वहीं पड़ा है। इसमें से केवल 15% बीज के रूप में उपयोग होगा, बाकी का 20-25% हिस्सा किसानों के लिए नुकसान का कारण बन सकता है।


Price fall reasons की बात करें तो पंजाब, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में भी बंपर पैदावार हुई है। वहीं, Pakistan और Nepal को Export बंद होने से बाजार में भारी दबाव बना हुआ है। पंजाब का आलू राजस्थान और गुजरात के बाजारों में पहुंच गया, जिससे यूपी का आलू नहीं बिक पा रहा। इसके अलावा, बिहार में आई बाढ़ और नेपाल में अस्थिरता से भी मांग कम हुई है। फर्रुखाबाद से पहले जहां 10 से 15 रैक आलू असम भेजा जाता था, इस साल केवल 2-3 रैक ही भेजे जा सके हैं। इससे supply chain disruption बढ़ गया है और किसानों की पूंजी फंस गई है।


किसानों और व्यापारियों ने सरकार से processing units लगाने और state-wise marketing strategy बनाने की मांग की है, ताकि आलू की खपत बढ़ाई जा सके। किसान नेताओं का कहना है कि यदि cold storage release policy को नवंबर तक बढ़ाया जाए और अन्य राज्यों में मांग के लिए वार्ता की जाए, तो स्थिति सुधर सकती है। वर्तमान में किसानों को double loss झेलना पड़ रहा है — एक ओर लागत मूल्य से कम दाम, दूसरी ओर स्टोरेज चार्ज और निकासी खर्च। यदि जल्द रणनीति नहीं बनी, तो यह agrarian crisis उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए और बड़ा आर्थिक झटका साबित हो सकता है।

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